April 22, 2024 7:08 pm

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ठुमरीला समर्पित ‘माइंड अँड म्युझिक’ लॉन्च करताना शास्त्रीय संगीतातील दिग्गज

इंडियन इंटरनेशनल सेंटर में रविवार की शाम दिग्गज शास्त्रीय कलाकारों के नाम रही. इस शाम को सुरमयी बनाया प्रसिद्ध लेखक और संगीत मर्मज्ञ डॉ. कर्ण सिंह, प्रसिद्ध खयाल गायक साजन मिश्रा, चर्चित नृत्यांगना शोभना नारायण, संगीत और कला से जुड़ी रमा पांडेय और ठुमरी गायक तथा लेखिका मीनाक्षी प्रसाद ने. मौका था मीनाक्षी प्रसाद की पुस्तक ‘माइंड एंड म्यूजिक’ के लोकार्पण का.

मीनाक्षी प्रसाद की पुस्तक ‘माइंड एंड म्यूजिक’ में गिरजा देवी, छन्नूलाल मिश्र, राजन-साजन मिश्रा, अजय चक्रवर्ती जैसे कलाकारों के जीवन और उनके संगीत में किए गए तमाम कार्यों का एक विस्तृत परिचय दिया गया है. मीनाक्षी प्रसाद ने मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया है और प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सविता देवी से संगीत की तालीम शिक्षा प्राप्त की है. वे संगीत के साथ-साथ साहित्य में भी विशेष रुचि रखती हैं और हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय में सीनियर फेलो भी उन्होंने कार्य किया है. मीनाक्षी ने संगीत और मनोविज्ञान के सुंदर संयोजन से इस पुस्तक को साकार रूप दिया है. यही रूप उनके व्यक्तित्व और लेखन में भी दिखाई देता है.

इस पुस्तक में 15 देशों के शीर्ष कलाकार हैं जो करीब 4 से लेकर 6 दशकों से अपने स्थान पर कायम हैं. 60 गायक-गायिकाओं के बारे में आपको इस पुस्तक में संक्षिप्त रूप में वह जानकारी प्राप्त होगी जो संगीत के प्रति आपकी रुचि को और प्रगाढ़ करेगी. इस पुस्तक का उद्देश्य इन तमाम कला साधनों के जीवन को उस नई पीढ़ी के समक्ष रखना है जो अपनी संस्कृति और अपनी धरोहर से कहीं ना कहीं पीछे छूट रहे हैं.

कार्यक्रम का आरंभ नीलाक्षी द्वारा कार्यक्रम की भूमिका और परिचय के साथ हुआ. कार्यक्रम की सूत्रधार रमा पाण्डेय ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया और ‘माइंड एंड म्यूजिक’ पुस्तक के बारे में अपनी बात भी रखी. रमा पांडेय ने कहा कि परखना और परखने के बाद लिखना, लेखनी का सबसे बेहतरीन तरीका है; और मीनाक्षी प्रसाद ने इसी तरीके को इस किताब को तैयार करने में अपनाया है. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक साक्षात्कारों की एक यात्रा है, जो देश-विदेश की संस्कृति और परंपरा को साथ लिए चलती है.

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लेखिका मीनाक्षी प्रसाद ने इस किताब को तैयार करने की अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि व्यक्ति का निर्माण उसके भाव से होता है. जिस चीज को वह मानता है वह वैसा ही होता चला जाता है. संगीत के प्रति लगाव से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए मीनाक्षी ने कहा- ‘जब देश में रेडियो का दौर था तो रेडियो के माध्यम से संगीत हमारे घर तक पहुंच रहा था और तमाम भारतीय संगीतकारों की आवाज हम तक पहुंच रही थी, तब मेरी उम्र मात्र 5-6 वर्ष रही होगी. उसका प्रभाव मेरे मन पर तभी से पड़ना शुरू हो गया था. मेरी गुरु मां आदरणीय सविता देवी जी और मेरी गुरु बहन इंदिरा मुखर्जी के साथ मैंने ठुमरी को सीखा और संगीत में एक बेहतर समझ विकसित की.’

वरिष्ठ लेखक प्रयाग शुक्ल ने कहा कि हम संगीत को सिर्फ गाते सुनते नहीं हैं, देखते भी हैं.न उन्होंने कहा कि संगीत कि दुनिया से प्रेम स्वाभाविक है क्योंकि संगीत दिलों को जोड़ता है, मन को प्रभावित करता है, वह एक अटूट रिश्ता लोगों के साथ कायम करता है.

प्रसिद्ध नृत्यांगना शोभना नारायण ने कहा कि लेखिका मीनाक्षी प्रसाद साधिका भी हैं और लेखिका भी. इस किताब में जिन चीजों का जिक्र है उनका सार है-संगीत. उन्होंने कहा कि आत्मा और परमात्मा के संयोग ही श्रृंगार है और वह जीवन से जुड़ा हुआ है. भाषा महत्वपूर्ण है क्योंकि उसकी एक खूबसूरती है, हर भाषा की एक संवेदना होती है जो शायद किसी दूसरी भाषा में उतने आवेग से ना मिले.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. करण सिंह ने कहा कि रस के बिना आप राग की बात नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि “मैं अपने को रसिक मानता हूं और संगीत व नृत्य से मुझे रस की प्राप्ति होती है.”

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Author: Star News India

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